Words' Magic
Monday 11 January 2016
Thursday 31 December 2015
Wednesday 23 December 2015
Tuesday 22 December 2015
Monday 21 December 2015
जिससे बात करना भी गंवारा नहीं
माँझी का प्यार लिए फिरते हैं
इन खुशदिल चेहरों में हम ही
हसरतें बीमार लिए फिरते हैं
जिससे बात करना भी गंवारा नहीं, उसी का
सिने में तलबगार लिए फिरते हैं
हमदर्दियां दिखाए भी तो कोई कहाँ तलक हम से
गम ही रायगाँ हज़ार लिए फिरते हैं
हिज़्र में बुदबुदाने लगे तो जाना, हम तो
खुद में फनकार लिए फिरते हैं
दर्दो-गम के सिवा क्या देंगें किसी को
यही तो बेशुमार लिए फिरते हैं
और तो सब जायज़ है लेकिन
दिल शर्मसार लिए फिरते हैं
शायर: आकाश
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