Tuesday, 13 October 2015

कोई इक पगडंडी ऐसी भी हो







जीवन की इन टेढ़ी-मेड़ी पगडंडियों में से,

कोई इक पगडंडी ऐसी भी हो,

जो तुम तलक जाती हो 

और 

लौट कर ना आती हो ||  



शायर: "आकाश" 











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