जिसे इस जन्म में मैं पा भी नहीं सकता
उसे इस जन्म में मैं भूला भी नहीं सकता
बड़े नाज़ से लिखा है उसका नाम दिल पे
कोई हर्फ़ उसका मैं मिटा भी नहीं सकता
राख ही क्यों ना कर दे ये इश्क़ मुझे
ये चिराग लेकिन मैं कभी बुझा भी नहीं सकता
मैं तमाम उम्र ही उसे लिखता रहा हूँ "आकाश"
लेकिन उसे इक बार मैं बता भी नहीं सकता
शायर : "आकाश"
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