निकाल कर वही गलत-सलत अर्थ ही कहेंगे
लोगों का क्या है जो भी कहेंगे व्यर्थ ही कहेंगे
बस इतना सा किस्सा है
वो हुआ दिल का हिस्सा है
वो कोई हयात नहीं
जिस में तेरा साथ नहीं
उसके पाँव के लम्से-अव्वल को तरसे दर मेरा
वो कभी आए तो हो जाए मुहतरम घर मेरा
अपने घर में भी करार नहीं मिलता
जब मनचाहा प्यार नहीं मिलता
शायर: "आकाश"
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